Thursday 02 July 2020 11:30 AM IST : By Meena Pandey

बड़ी-बड़ी मुश्किलें हल कर देती है सच्चे मन से की गयी प्रार्थना

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यह कहानी है या वाकई सच, नहीं मालूम ! पर किस्सा दिलचस्प है अौर उसका कनेक्शन प्रार्थना से ही है। अाप भी जानिए-
एक प्रसिद्ध कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ. मार्क को उनकी नयी रिसर्च के लिए पुरस्कृत किया जा रहा था। वे बड़े उत्साह से जाने की तैयारी कर रहे थे। हवाई जहाज में बैठने के 2 घंटे बाद उसमें खराबी अाने से इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी। अगली फ्लाइट 10 घंटे बाद थी। उन्होंने टैक्सी से जाने का निर्णय लिया। टैक्सी मिली, मगर बिना ड्राइवर के। उन्होंने खुद टैक्सी चलाने की ठानी। कुछ दूर ही चले होंगे कि अचानक तेज अांधी-तूफान में वे गलत रास्ते पर मुड़ कर भटक गए। सुनसान जगह पर एक छोटा सा घर दिखा। दरवाजा खटखटाने पर एक महिला बाहर अायी अौर उनकी समस्या सुनी। उनको अंदर ले गयी। चाय के साथ कुछ खाने को भी दिया अौर कहा, ‘‘अाइए, खाने से पहले भगवान से प्रार्थना करके धन्यवाद दें।’’ डॉ. मार्क ने कहा कि अाप प्रार्थना कर लें, मैं कर्म अौर मेहनत में विश्वास करता हूं।’’ चाय पीते हुए उन्होंने देखा कि वह अपने छोटे से बच्चे के साथ कई तरह की प्रार्थनाएं कर रही थी। वे समझ गए कि वह महिला परेशान है। उन्होंने पूछा कि अापको लगता है कि भगवान अापकी प्रार्थना सुनेंगे? वह मुस्करा कर धीमे स्वर में बोली, ‘‘मेरे बेटे को एक बीमारी है, जिसे डॉ. मार्क ही ठीक कर सकते हैं, पर मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि मैं बेटे को दिखाने उनके शहर जा सकूं। मुझे विश्वास है कि ईश्वर कोई ना कोई रास्ता बना देंगे। वे मेरा विश्वास टूटने नहीं देंगे। वे अवश्य ही मेरे बेटे का इलाज डॉ. मार्क से करा कर इसे स्वस्थ कर देंगे।’’ डॉ. मार्क हैरान रह गए। सारा घटनाक्रम उनकी अांखों के अागे घूम गया। पुरस्कार मिलना, अनजान जगह जहाज की लैंडिग, टैक्सी लेना, भटकना अौर यहां तक अा पहुंचना। क्या ईश्वर अौरत की प्रार्थना का उत्तर देने के साथ उनको भी पद, प्रतिष्ठा, पुरस्कार अादि से अलग कुछ बेहतर करने का एक मौका देना चाहते थे? वे कुछ पल मौन रहे, फिर भरे गले से बोले, ‘‘ईश्वर वाकई महान है।’’
प्रार्थना में वाकई बहुत शक्ति है। इससे सकारात्मक कुछ नहीं है। स्थितियां जब काबू से बाहर हो जाती हैं, तब एक विकल्प प्रार्थना ही क्यों बचता है? ज्योतिषाचार्य, टैरोकार्ड रीडर राखी यल्लप्रगड़ा कहती हैं, ‘‘प्रार्थना से मन अौर दिमाग दोनों शांत अौर स्थिर होते हैं। धीरे-धीरे यह शांति अौर स्थिरता स्वभाव में शामिल हो जाती है। खुद को जानने, समझने अौर स्वीकारने का सफर शुरू होता है।’’
⇛ प्रार्थना के जरिए हम परिस्थितियों को जैसे का तैसा स्वीकार करना सीखते हैं। फिर हर चीज पर कंट्रोल करने अौर दूसरों को अपने मुताबिक बदलने की अादत छोड़ देते हैं।
⇛ कभी ना कभी सबके जीवन में दुख-तकलीफ अौर बुरा समय अाता है, तब अास्था अौर प्रार्थना ही उसे बचाती है। इससे मनोबल नहीं टूटता।
⇛ प्रार्थना हमारे मन को दयालुता, करुणा अौर परोपकार की भावनाअों से समृद्ध करती है। प्रार्थना से मन की गांठें खुलती हैं। बुद्धि प्रखर होती है।
⇛ इससे मन शांत अौर पवित्र होता है। शरीर के सारे चक्र सक्रिय होते हैं, सोच अच्छी होती है।
⇛ कई शोध बताते हैं कि प्रार्थना करनेवाले अौर ईश्वर में अास्था रखनेवाले स्वस्थ अौर लंबी अायु जीते हैं। लेकिन प्रार्थना सिर्फ स्वार्थ के लिए की जाए कि पड़ोसी के पास अॉडी कार है, मुझे कम से कम होंडा सिटी दिला दे, तो कुछ नहीं होगा। उलटे टेंशन से तबीयत खराब अौर मन व चेहरे की रौनक जाती रहती है।
⇛ हम जीवन का कोई हल ढूंढ़ने के लिए भी प्रार्थना करते हैं। हमारे पास से कोई दूसरा हल निकल कर गुजर जाता है अौर हम उसे देख कर भी नहीं देख पाते। प्रार्थना हमें उसे पहचानने की नजर देती है। कई बार हमारी उम्मीदें अौर विचार हमारी दृष्टि को बांध देते हैं, हम उसके अागे नहीं देख पाते। मन को ईश्वर से जोड़ें अौर निस्वार्थ भाव से प्रार्थना करें। जब ईश्वर से मन जुड़ता है, तो अापमें पॉजिटिविटी बढ़ती है।
⇛ इंसान की परेशानी यह है कि वह मंदिरों-मस्जिदों में भटकता है, बड़े-बड़े भंडारे करता है, पर घर में मां का टूटा चश्मा बदलने के लिए ना तो पैसे निकलते हैं अौर ना ही बनवाने का टाइम। ऐसी प्रार्थनाएं मां के चश्मे की तरह अधूरी ही रहती हैं।
⇛ प्रार्थना का मतलब सिर्फ दीया जलाना, मंदिर जाना ही नहीं है, बल्कि मन में  ईश्वर अौर अपने अासपास के साथ जुड़ना है। परमात्मा यानी अपनी अात्मा के साथ दूसरी अात्माअों, लोगों के साथ जुड़ें, तभी ईश्वर दिल में बसेंगे।
⇛ अाध्यात्मिक लोग मानते हैं कि ईश्वर की चेतना से उनकी चेतना जुड़ी हुई है, इसलिए उनमें सकारात्मक ऊर्जा अधिक होती है। वे मनुष्य में ईश्वर के स्वरूप को करुणा, अानंद, दया अौर संवेदना के रूप में महसूस कर पाते हैं। उनका रवैया किसी के प्रति कटु नहीं होता। वे नियमित, अनुशासित अौर स्वास्थ्य के अनुकूल जीवन जीते हैं। ऐसे लोग पूजा का अाडंबर करके दूसरों के लिए परेशानियां भी खड़ी नहीं करते।
⇛ एक शक्ति संसार में विद्यमान है, जब हम उसे याद करते हैं, तो वह हमारे साथ हो लेती है। प्रार्थना करना ईश्वर को याद करना ही तो है।
⇛ भगवान कृष्ण कहते हैं कि तू मुझे कैसे भी याद कर, अगर तेरा भाव अौर भावना सच्ची है, तो मैं तेरे साथ हूं।
⇛ भगवान के लिए सबसे बड़ी प्रार्थना अौर पूजा मनुष्यों की सेवा है। हर मनुष्य में भगवान हैं। सावन में शिवलिंग पर जो दूध चढ़ाते हैं, सारा नाली में बह जाता है। दूध जरूर चढ़ाइए मगर बस एक बूंद। बाकी किसी गरीब को दे दीजिए। अापके मन को शांति मिलेगी। भगवान भी संतुष्ट होंगे।