घाव होने या चोट लगने पर ः
⇛ तुलसी की पत्तियों के चूर्ण को घाव पर बुरकने या पीस कर लेप करने से घाव भर जाते हैं।
⇛ अंजीर की पत्तियों की पुल्टिस बांधने से अाराम मिलता है। इसे बनाने के लिए अंजीर की पत्तियों को पीस कर पका लें। फिर इसे छोटी पोटली में बांध कर गरम पोटली को घाव पर बांध लें।
⇛ कड़वे नीम के पत्ते पीस कर शहद िमला कर लगाने से बहते हुए घाव में फायदा होता है।
⇛ नुकीली वस्तु से चोट लगने पर खून िनकले, तो मुलैठी पाउडर को देसी घी में िमला कर घाव पर लगाएं अौर कस कर पट्टी बांध दें। मुलैठी नहीं है, तो हल्दी अौर िफटकरी पाउडर को िमला कर घाव पर लगाएं अौर पट्टी बांध दें।
सेंट्रल गवरमेंट हेल्थ स्कीम के अायुर्वेदिक वेलनेस सेंटर की मेडिकल अॉफिसर डॉ. एस. दीपा के अनुसार निम्न तरीके अपना कर अाप बहुत सी समस्याअों की फर्स्ट एड घर पर ही कर सकती हैं :
अंदरूनी चोट लगने या मोच अाने पर ः
⇛ कई बार भारी चीज से चोट लगने पर खून तो नहीं िनकलता, पर नीला िनशान पड़ जाता है या गूमड़ िनकल अाता है। एेसे में प्याज, अांबा हल्दी, नमक अौर ितल को कुचल कर पोटली बना लें। इस पोटली को सरसों के तेल में िभगो कर गरम सेंक करें। िफर इसे बांध दें। इससे जमा खून फैलेगा अौर दर्द में अाराम िमलेगा।
⇛ गरम पानी की बोतल से या बाजरे को कड़ाही में गरम करके पोटली बना लें, उससे िसंकाई करें। चोट लगने के तुरंत बाद िसंकाई ना करके बर्फ लगाएं। एक िदन बाद सिंकाई करें। हल्दी व तेल में लहसुन गरम करके उसका लेप लगाएं।
⇛ अंदरूनी चोट में दर्द हो, तो अनार का िछलका पानी में गला कर पीस लें अौर उसमें िपसी हुई हल्दी िमला कर बांधें।
⇛ एलोवेरा के पत्ते के कांटे िनकाल कर गूदे अौर रस काे चोट पर लगाएं। अाराम िमलेगा।
कांटा चुभने पर ः
⇛ उस स्थान पर अाक के दूध की 2 बूंदें टपका दें। कांटा अंदर रह गया हो, तो वह बाहर अा जाएगा।
⇛ शहद के साथ राई पीस कर लगाने से भी कांटा िनकल अाता है।
िवषैले जीवों के काटने पर ः
⇛ मधुमक्खी, बर्रे अौर कीड़े, मच्छर अादि के काटने पर डंक द्वारा एक प्रकार का िवष शरीर में पहुंच जाता है, िजससे दर्द, सूजन, जलन अािद होती है।
कोिशश करके सबसे पहले डंक िनकालें। उसके बाद डंकवाली जगह से ऊपर के िहस्से को डोरी या कपड़े से कस कर बांधें।
⇛ अर्क, कपूर या तारपीन का तेल िवषैले जंतु के काटे हुए स्थान पर लगाएं। ये सब ना िमलें, तो प्याज या तंबाकू पीस कर बांध दें।
⇛ कानखजूरे के काटने पर गूलर के पत्तों को पीस कर उस स्थान पर बांध दें।
ततैया, मधुमक्खी व िबच्छू के काटने पर ः
⇛ जहां पर ततैए या मधुमक्खी ने काटा हो, वहां पर िफटकरी पानी में पीस कर लेप करें। िवष का असर नहीं रहता।
⇛ तुलसी के पत्तों का रस नमक के साथ उस स्थान पर रगड़ने से दर्द कम होगा। पांच-छह पत्ते रोगी को िखला भी दें।
⇛ जिमीकंद को पका कर इसकी पुल्टिस बना कर कीड़े द्वारा काटे गए स्थान पर बांधने से लाभ होता है।
सांप के काटने पर ः
⇛ रोगी को सोने ना दें। दूध में घी िमला कर िपलाएं अौर तुरंत अस्पताल ले जाएं।
⇛ लहसुन की ताजी कलियां पीस कर सांप या िबच्छू के काटे स्थानों पर लगाने से जहर का असर कम होता है।
बेहोश होने पर ः
⇛ बेहोश होने पर रोगी बातचीत का जवाब नहीं दे पाता, अांखें नहीं खोल पाता, शरीर में कोई हरकत नहीं होती। एेसे में जब तक डॉक्टर अाए, िसर के नीचे से तकिया हटा दें अौर पैर थोड़े ऊपर कर दें। कुछ भी िपलाने की कोिशश ना करें।
⇛ पोदीने की पत्तियों की खुशबू से बेहोशी दूर होती है।
⇛ गरमी के कारण व्यक्ति बेहोश हो गया हो, िसर दर्द हो, तो खीरे को एक िसरे से काट कर सुंघाएं।
मुंह में छाले होने पर ः
⇛ यह समस्या कब्ज या एसिडिटी, दवाइयां या ड्राई फ्रूट ज्यादा खाने से होती है।
⇛ ईसबगोल की भूसी शाम के समय पानी के साथ लें।
⇛ गूलर व नीम के पत्ते पानी में उबाल-छान कर उससे बार-बार कुल्ले करें। चमेली के पत्तों को चबा कर थूकते जाएं। अमरूद के मुलायम पत्तों पर कत्था लगा कर पानी की तरह चबाएं।
⇛ अांवला खाएं, मुलैठी व घी िमला कर छालाें पर लगाएं।