Monday 28 September 2020 08:13 PM IST : By Rashmi Kao

इश्क जोश

चर्चे... किस्से... नाराजगी अाने दो,
मुझको इश्क में अौर इश्क को मुझमें मशहूर हो जाने दो।
  -अपर्णा गर्ग

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अजीब बात है। मैं कहीं भी जाऊं, कहानी मिल ही जाती है। इस बार काठगोदाम से दिल्ली अा रही शताब्दी ट्रेन में मैं चढ़ी ही थी कि मेरे बगल में एक जीती-जागती कहानी अा कर बैठ गयी। पूरे छह घंटे यह कहानी मेरे साथ रही अौर इस दौरान मुझसे बहुत कुछ कह गयी। अाप पूछेंगे ऐसा क्या कह गयी? तो हुअा यों कि मैं उत्तराखंड के पहाड़ों में छोटी सी छुट्टी बिता कर दिल्ली लौट रही थी कि ट्रेन में एक युवा जोड़ा मेरे बगल की दो सीटों पर अा कर बैठा। जमा देनेवाली ठंड का मजा जहां उनके चेहरों पर साफ नजर अा रहा था, वहीं प्यार की खुमारी भी छुप नहीं रही थी। लेकिन इस सबके बावजूद कुछ था जो वे छुपाना चाहते थे, पर छुपाने में नाकामयाब थे। रिप्ड जींस अौर जैकेट में लिपटी लड़की की जबान जहां मीठी थी, वही लफ्जों अौर नजर में तमीज अौर तहजीब का परदा था। लड़का ठहराव वाली अावाज में नापतोल कर बोलता, पर उसकी शरारती निगाहें अौर मुस्कराहटें उसके अावाज के संयम को झुठला देतीं। ऐसा कुछ था, जो दोनों को अलग तो करता, पर जोड़ता भी था। मेरी खामोशी उनको टटोल रही थी कि टिकट चेकर ने अा कर अचानक उनके नाम पुकारे, ‘‘शबाना अली,’’ ‘‘अरुण मित्तल।’’ नाम सुन कर मेरे मन में उठ रहे सभी सवालों के जवाब सामने थे। सुन कर अच्छा ही लगा। दो प्यार करनेवालों से तो ईश्वर भी मोहब्बत करता है। ऐसा ही तो कहते हैं, पर शायद समाज दो प्यार करनेवालों से प्यार करना भूल चुका है।
मेरे अंदर कलम की कसमसाहट जारी थी। मैंने दोनों पर एक गहरी नजर डाली अौर इस बार लड़की मुस्करा दी, ‘‘अाप चौंक गयीं ना?’’ मैं इस सवाल के लिए तैयार नहीं थी, इसलिए बेतुका सवाल कर गयी, ‘‘शादी हो गयी है क्या?’’ ‘‘नहीं, अभी शादी में वक्त है। अब्बू के रिटायरमेंट के बाद शादी करूंगी, जिससे उन्हें मैं अौर अरुण अपने साथ रख सकें। अम्मी के जाने के बाद अब्बू अौर मैं ही तो हैं,’’ जवाब जैसे उसकी जबान पर तैयार रखा था। ‘‘अौर अरुण का परिवार?’’ मेरा सवाल हवा में तैर गया। लड़की की साफगोई के अागे लड़का भी खुल गया। उसका कहना था कि मैं घर का सबसे बड़ा बेटा हूं, अपना बिजनेस है, फाइनेंशियली मजबूत हैं। एक छोटी बहन भी है, जिसकी शादी होनी बाकी है। अपने प्यार को बचाने के लिए घर में बताया नहीं है। इंटरकास्ट मैरिज तो परिवार के गले से किसी तरह उतर जाती है, पर इंटररििलजन मैरिज तो घर अौर समाज में बखेड़ा खड़ा कर देती है। पता चला दोनों ही पढ़े-लिखे अौर अच्छी जॉब में हैं, साथ रहते हैं, किचन में वेज अौर नॉनवेज दोनों बनता है।
मैंने पूछा, ‘‘तुम लोगों को डर नहीं लगता?’’ मेरे सवाल पर लड़का हल्के से हंसा अौर लड़की को देखते हुए चिढ़ाने के अंदाज में बोला, ‘‘मैम, सच कहूं तो इश्क भी शीर्षासन की तरह ही होता है। बैलेंस बनाए रखना पड़ता है, नहीं तो...।’’ मैंने टोका, ‘‘मैं अाज के माहौल को देख कर डरती हूं।’’ ‘‘डरना क्यों?’’ लड़के की अावाज ऊंची होने लगी, तो लड़की ने उसका हल्के से हाथ दबाया। ‘‘डर से लड़ना जरूरी है, डर के अागे जीत है,’’ लड़का मुस्कराया। लड़की की निगाह उसके गालों के गड्ढों पर जा टिकी। लड़की बीच में बोली, ‘‘माहौल की तुर्शी से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। कोई कुछ भी करे, बस हमें जीने दे।’’

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धर्म व जाति के बारूद से भरी दिल, दौलत अौर दुनिया के बीच की यह जंग पुरानी है, जिसे कम्युनिकेशन में अायी क्रांति भी कम नहीं कर पा रही। दिलों के कनेक्शन अगर बढ़े हैं, तो वहीं इज्जत अौर धर्म के नाम पर युवाअों को जिंदगी से बेदखल करने की वारदातें भी कई गुना बढ़ी हैं। सरकारी अांकड़े कुछ कहते हैं, पर सचाइयां कुछ अौर ही हैं। मैंने देखा, इस बीच लड़की ने अपने अब्बू की दो फोन कॉल्स काटीं। ट्रेन के रुकने पर उनसे छोटी सी बात की, फिर मैसेज टाइप करने लगी। उसका कहना था, ‘‘प्यार तो पंख देता है, फिर यह बंदिशें क्यों? धर्म दिल के अंदर रखने की चीज है अौर प्यार में खिलने अौर खिलखिलाने की बात होती है। हमें प्यार को छुपाना क्यों पड़ता है। यह सारी रोकटोक हम जैसे मामूली परिवारों पर ही गाज बन कर क्यों गिरती हैं। सेलेब्रिटी अौर रसूखवाले कहीं भी किसी के साथ कितनी भी शादियां धर्म या नाम बदल कर करते हैं, उनसे कोई सवाल नहीं करता। ना ही उनको कोई सरेअाम नुकसान पहुंचाता है। समाज हम जैसों से ही जवाब क्यों मांगता है। हमारा इश्क गलत अौर उनका सही कैसे हो सकता है। हम टैक्स की चोरी नहीं करते, बिल में जीएसटी देते हैं। अाखिर नागरिक हैं इस देश के। प्यार करने का भी हक रखते हैं। हम कोई एक्सपेरिमेंट करने नहीं निकले। प्यार में हम भी 10 रुपए का गुलाब 100 में खरीदते हैं। फिर नफरतों का बाजार इतना फल-फूल क्यों रहा है। हमें एक-दूसरे से प्यार है, यह मैं पूरे होश अौर जोश के साथ कह रही हूं।’’ मुझे लगता है अब समाज के होश में अाने का वक्त अा चुका है।